परिचय: कबूतर का घोंसला
एक घने आम के पेड़ पर एक कबूतर का सुंदर और सुरक्षित घोंसला था। वह इस घोंसले में वर्षों से रहता था और इसे अपने लिए घर बना लिया था। एक दिन, अपने पुराने दोस्त से मिलने के लिए कबूतर ने यह घोंसला छोड़ दिया और कई महीनों तक वापस नहीं लौटा।
कबूतर की अनुपस्थिति में घोंसले पर कब्जा
कबूतर की गैरमौजूदगी में, एक चालाक कौवे ने उस घोंसले को देख लिया। उसने सोचा, “यह घोंसला कितना सुंदर और आरामदायक है।“ कौवे ने बिना किसी हिचक के उस घोंसले में रहना शुरू कर दिया। कबूतर के लंबे समय तक वापस न लौटने की वजह से कौवे ने इसे अपना स्थायी घर बना लिया।
कबूतर की वापसी: घोंसले पर अधिकार की लड़ाई
कई महीनों के बाद, कबूतर अपने घोंसले में लौट आया। उसने देखा कि उसका घोंसला अब कौवे ने कब्जा कर लिया है। “यह घोंसला मेरा है। तुम इसे छोड़ दो,” कबूतर ने कौवे से कहा।
लेकिन कौवे ने जवाब दिया, “मैं कई दिनों से इसकी देखभाल कर रहा हूं। अब, यह घोंसला मेरा है।“ दोनों पक्षी इस बात पर लगातार बहस करते रहे, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया।
समस्या का समाधान खोजने का प्रयास
काफी समय तक बहस करने के बाद, कौवे ने एक सुझाव दिया, “हम इस समस्या को खुद हल नहीं कर सकते। हमें किसी से मदद मांगनी चाहिए।“ कबूतर इस पर सहमत हो गया और वे दोनों किसी तीसरे पक्ष की मदद लेने का फैसला करते हैं।
बिल्ली की एंट्री: एक चालाक योजना
इसी बीच, पास ही एक चालाक बिल्ली भोजन की तलाश में घूम रही थी। उसने देखा कि दो पक्षी उसकी ओर आ रहे हैं और किसी समस्या का समाधान चाहते हैं। बिल्ली ने एक चालाक योजना बनाई और साधु की तरह ध्यान करने का नाटक करने लगी।
कौवे का अनुरोध: बिल्ली से मदद मांगना
कौवे ने दूर से बिल्ली को देखा और उसे पुकारा, “आंटी बिल्ली, कृपया हमारी मदद करें।“ बिल्ली ने बड़ी मधुरता से जवाब दिया, “मुझे बताओ कि तुम्हें क्या परेशान कर रहा है। मैं निश्चित रूप से तुम्हारी मदद करूंगी।“
बिल्ली की चालाकी: समस्या को समझने का नाटक
कौवा और कबूतर दोनों ने अपनी समस्या बिल्ली को बताई। बिल्ली ने ध्यान से सब कुछ सुना और फिर चतुराई से कहा, “मैं बूढ़ी हो गई हूं और ठीक से सुन नहीं पाती। तुम दोनों मेरे और करीब आओ, ताकि मैं तुम्हारी पूरी कहानी अच्छे से सुन सकूं।“
बिना कुछ सोचे-समझे, दोनों पक्षी बिल्ली के पास करीब चले गए। उन्हें बिल्ली की चालाकी का बिल्कुल अंदाजा नहीं था।
बिल्ली का हमला: कबूतर और कौवे की दुखद अंत
जैसे ही वे दोनों पक्षी बिल्ली के पास पहुंचे, चालाक बिल्ली ने मौका देखा और उन पर झपट पड़ी। एक ही झटके में उसने दोनों पक्षियों को पकड़ लिया और उन्हें अपना शिकार बना लिया।
नैतिक शिक्षा: सावधानी से मदद मांगें
यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती है: “सावधान रहें कि आप किससे मदद मांगते हैं। हर किसी का इरादा सबसे अच्छा नहीं होता है।“ कभी-कभी जिनसे हम मदद की उम्मीद करते हैं, वही हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, सही व्यक्ति से मदद मांगना बेहद जरूरी है।
एक कबूतर और कौवा की कहानी की निष्कर्ष:
यह कहानी न केवल हमें सतर्क रहने की शिक्षा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि हर बार दूसरों की मदद पर भरोसा करना सही नहीं होता। जिस प्रकार कौवा और कबूतर ने बिल्ली से मदद मांगी, बिना सोचे-समझे, उसी तरह हमें भी जीवन में जल्दबाजी में फैसले नहीं लेने चाहिए। सही निर्णय और सही व्यक्ति से सहायता लेना बेहद महत्वपूर्ण है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- इस कहानी कहानी की मुख्य शिक्षा क्या है?
इस कहानी की मुख्य शिक्षा है कि हमें ध्यान से सोच-समझकर मदद मांगनी चाहिए, क्योंकि हर कोई मददगार नहीं होता। - कबूतर और कौवे के बीच झगड़ा किस बात को लेकर था?
कबूतर और कौवे के बीच झगड़ा घोंसले के स्वामित्व को लेकर था, जहां कौवा कबूतर की अनुपस्थिति में घोंसले पर कब्जा कर चुका था। - बिल्ली ने कैसे दोनों पक्षियों को धोखा दिया?
बिल्ली ने साधु बनने का नाटक किया और खुद को कमजोर और बूढ़ी दिखाकर दोनों पक्षियों को करीब आने के लिए कहा, फिर उसने उन पर हमला कर दिया। - कौवा और कबूतर ने बिल्ली से मदद क्यों मांगी?
कौवा और कबूतर अपनी समस्या का समाधान खुद नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने बिल्ली को एक समझदार निर्णय लेने वाला समझकर उससे मदद मांगी। - इस कहानी से बच्चों को क्या सीखने को मिलता है?
यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि हर किसी पर भरोसा नहीं करना चाहिए और हमेशा सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब वे किसी से मदद मांग रहे हों।
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