दो मुंह वाला सियार-Moral Story For Kids

दो मुंह वाला सियारकहानी का परिचय

बिहारगंज के जंगल में एक बहुत ही चालाक और खतरनाक सियार रहता था। इस कहानी में हम देखेंगे कि कैसे उसकी चालाकी उसे धोखेबाज बनाती है, और कैसे दो भोले खरगोश उसकी योजना का शिकार बनते हैं। साथ ही इस कहानी से हमें एक महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षा मिलती है।

जंगल का खतरनाक सियार

इस जंगल में सियार का नाम सुनते ही सभी जानवर सहम जाते थे। सियार की ताकत और उसकी खतरनाक चालों के कारण हर कोई उससे डरता था। लेकिन समय के साथ, सियार बूढ़ा और कमजोर होता गया, और अब उसके लिए शिकार करना मुश्किल हो गया था।

सियार का बूढ़ा होना और कमजोर पड़ना

जैसे-जैसे सियार बूढ़ा होता गया, उसका शरीर कमजोर पड़ने लगा। पहले जो सियार अपने शिकार को चुटकी में पकड़ लेता था, अब उसके लिए छोटी-छोटी लड़ाई भी मुश्किल होती जा रही थी। इसी स्थिति ने उसे एक नई योजना बनाने पर मजबूर कर दिया।

सियार की योजनादिखावे का जीवन

अपने जीवन में आया ये बदलाव सियार को परेशान करने लगा। उसने सोचा कि अगर वह खुद शिकार नहीं कर सकता, तो धोखे से शिकार को अपने पास बुलाकर अपना काम बना सकता है। और यही सोचकर उसने खुद को साधु के रूप में ढालने का निर्णय लिया।

सियार का साधु के रूप में जीवन

अब सियार दिनभर एक साधु की तरह “राम-राम” जपने लगा। उसने अपने आसपास एक धार्मिक माहौल बना लिया, ताकि किसी को उस पर शक न हो। वह न केवल अपनी चालाकी से, बल्कि अपनी नई पहचान से भी जंगल के अन्य जानवरों को भ्रमित करने में सफल रहा।

दो मुंह वाला सियार

जानवरों की सियार पर विश्वास करना

जंगल के जानवर धीरे-धीरे सियार की इस नई पहचान पर भरोसा करने लगे। उन्हें लगा कि अब सियार बदल गया है और वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। कई जानवर उसकी भक्ति और पूजा में शामिल हो गए और उस पर अपनी सुरक्षा का भरोसा करने लगे।

सियार की असलियतधोखेबाजी

लेकिन सियार ने अपने भीतर के असली इरादे को नहीं बदला था। रात में, जब सब जानवर सो जाते, वह उन्हें अपना शिकार बनाता। उसकी यह धोखेबाजी किसी को भी पता नहीं चलती थी। दिन में वह साधु का रूप धारण करता और रात में जानवरों का शिकार करता।

दो खरगोशों की दोस्ती और गाजर पर विवाद

उसी जंगल में दो खरगोश रहते थे, जो अच्छे दोस्त थे। एक दिन उन्हें एक गाजर मिली, और गाजर को लेकर उनमें झगड़ा हो गया। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे और किसी भी प्रकार का समझौता नहीं कर पा रहे थे।

दो मुंह वाला सियार

खरगोशों की सलाहसियार के पास मदद के लिए जाना

एक खरगोश ने सुझाव दिया, “चलो बाबा सियार के पास चलते हैं। वह हमें इस गाजर को बांटने में मदद करेंगे।” दूसरे खरगोश ने भी उसकी बात मान ली, और दोनों गाजर लेकर सियार के पास पहुंच गए।

खरगोशों का सियार के पास पहुंचना

जब दोनों खरगोश सियार के पास पहुंचे, तो उन्होंने दूर से ही प्रणाम किया। सियार ने उनकी समस्या पूछी, तो खरगोशों ने अपनी लड़ाई के बारे में बताया। सियार को यह सुनकर बहुत खुशी हुई, क्योंकि उसे मौका मिल गया था।

सियार की योजनामौका देखकर हमला

सियार ने चालाकी से कहा, “मुझे वह गाजर दे दो। मैं इसे तुम दोनों में बराबर-बराबर बांट दूंगा।” भोले खरगोशों ने बिना सोचे-समझे गाजर उसे दे दी। जैसे ही उन्होंने गाजर सियार को सौंपी, सियार ने उन पर हमला कर दिया।

दो मुंह वाला सियार

सियार की धोखेबाजी का पर्दाफाश

जैसे ही सियार ने हमला किया, खरगोशों को उसकी असलियत समझ में आ गई। वे किसी तरह जान बचाकर वहां से भाग गए और सियार की धोखेबाजी का राज सबके सामने आ गया। अब सभी जानवरों ने उससे सावधान रहना सीख लिया।

खरगोशों की सीखसावधान रहना जरूरी है

इस घटना से दोनों खरगोशों को यह सीख मिली कि दूसरों पर बिना सोचे-समझे भरोसा नहीं करना चाहिए। अगर वे पहले ही सियार की असलियत पर ध्यान देते, तो वे इस समस्या से बच सकते थे।

कहानी का नैतिक पाठ

इस कहानी का मुख्य नैतिक पाठ है कि दूसरों के बीच लड़ाई का फायदा हमेशा कोई तीसरा उठाता है। इसलिए, कभी भी अपने विवाद को किसी ऐसे व्यक्ति के पास लेकर न जाएं, जो पहले ही चालाकी में माहिर हो।

अंतिम निष्कर्ष और शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें जीवन में हर कदम पर सतर्क और जागरूक रहना चाहिए। दूसरे लोगों के बारे में अच्छी तरह से जानने के बाद ही उन पर विश्वास करना चाहिए।

FAQs of दो मुंह वाला सियार:

  1. इस कहानी का मुख्य नैतिक पाठ क्या है?
    • इस कहानी का मुख्य नैतिक पाठ है कि किसी विवाद में तीसरा व्यक्ति हमेशा लाभ उठाता है।
  2. सियार ने कैसे जानवरों को धोखा दिया?
    • सियार ने साधु का रूप धारण कर जानवरों का विश्वास जीता और रात में उन्हें शिकार बनाता रहा।
  3. खरगोशों ने क्यों सियार पर विश्वास किया?
    • खरगोशों ने सियार के साधु रूप को देखकर उस पर भरोसा किया, जो कि उनकी गलती साबित हुई।
  4. खरगोशों ने गाजर का विवाद कैसे सुलझाने का सोचा?
    • उन्होंने सियार के पास जाकर उससे गाजर को बांटने की मदद मांगी।
  5. कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
    • यह कहानी सिखाती है कि दूसरों पर बिना सोचे-समझे भरोसा नहीं करना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए।

 

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