चतुर खरगोश ने कैसे हाथी को हराया? एक अनोखी कहानी, जहाँ खरगोश बिल्लू ने अपनी बुद्धिमानी से हाथियों को जंगल छोड़ने के लिए मना लिया। जानें कैसे चंद्रदेव का संदेशवाहक बनकर बिल्लू ने अपनी प्रजा की रक्षा की।
सुंदरवन के हरे-भरे जंगलों में हाथियों का एक विशाल झुंड रहता था। जंगल के हालात बिगड़ रहे थे क्योंकि एक साल से बारिश नहीं हुई थी, जिससे सभी झील सूख गए थे। झील, जो हाथियों के लिए पानी का मुख्य स्रोत थी, पूरी तरह सूख चुकी थी। हाथियों के राजा, गजपति, ने अपनी प्रजा के लिए चिंता जताते हुए फैसला किया कि अब वे नए जंगल की खोज करेंगे, जहाँ पानी की उपलब्धता हो।
कुछ ही दिनों की लंबी यात्रा के बाद, हाथियों का यह झुंड एक ऐसे जंगल में पहुँचा, जहाँ एक बड़ी और सुंदर झील थी। पानी देखकर सभी हाथी खुशी से झूम उठे और उन्होंने इस नए जंगल को अपना घर बना लिया।
लेकिन इस झील के किनारे बहुत सारे खरगोश भी रहते थे, जो छोटे और नाजुक थे। हर दिन कई खरगोश अनजाने में हाथियों के विशाल पैरों के नीचे कुचले जाने लगे। इससे खरगोशों के बीच डर और चिंता फैलने लगी।
खरगोशों के राजा ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलाई। बैठक में बिल्लू नाम का एक चतुर खरगोश आगे आया और उसने एक योजना बनाई जो सभी को बहुत पसंद आई। बिल्लू ने ठान लिया कि वह हाथियों के राजा गजपति से इस समस्या का हल निकालेगा, लेकिन उसे चतुराई से अपनी योजना को अंजाम देना था।
अगले दिन बिल्लू, खुद को चंद्रदेव का संदेशवाहक बताते हुए, गजपति के पास पहुँचा। उसने विनम्रतापूर्वक कहा, “हे गजपति! मैं चंद्रदेव का दूत हूँ और आपके लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लाया हूँ।”
गजपति ने जिज्ञासा से पूछा, “क्या संदेश है?”
बिल्लू ने गंभीर स्वर में कहा, “चंद्रदेव इस झील के किनारे रहने वाले खरगोशों से बहुत स्नेह करते हैं। हर दिन आपके हाथियों के पैरों के नीचे कई खरगोश कुचले जा रहे हैं। इससे चंद्रदेव आप पर बहुत क्रोधित हैं। अगर आप सब तुरंत यहाँ से नहीं गए, तो वे आप पर दंड की वर्षा करेंगे।”
गजपति यह सुनकर भयभीत हो गया और उसने तुरंत चंद्रदेव से मिलकर माफी माँगने की इच्छा जताई। बिल्लू अपनी योजना के अनुसार गजपति को झील के किनारे ले गया। रात का समय था, और झील के पानी में चाँद का सुंदर प्रतिबिंब साफ दिखाई दे रहा था। बिल्लू ने गजपति से कहा, “देखिए, चंद्रदेव अभी आराम कर रहे हैं। जल्दी से उनसे माफी मांगिए।”
गजपति ने पानी में दिख रहे चंद्रदेव के प्रतिबिंब को देखकर क्षमा याचना की और वचन दिया कि वह और उसकी प्रजा तुरंत इस जंगल को छोड़ देंगे। गजपति ने अपनी प्रजा को इकट्ठा किया और जंगल छोड़ दिया, जिससे खरगोशों की जान बच गई।
Moral of चतुर खरगोश ने कैसे हाथी को हराया?:
संकट के समय में बुद्धिमानी से काम लेना ही सच्ची जीत है।
FAQs on the Story चतुर खरगोश ने कैसे हाथी को हराया?–
1. प्रश्न: हाथियों का झुंड जंगल क्यों छोड़ना चाहता था?
उत्तर: हाथियों का झुंड जंगल इसलिए छोड़ना चाहता था क्योंकि उनके पुराने जंगल में एक साल से बारिश नहीं हुई थी, और वहाँ की झील सूख गई थी। उन्हें पानी की तलाश में नए जंगल की जरूरत थी।
2. प्रश्न: बिल्लू खरगोश ने गजपति को कैसे समझाया कि चंद्रदेव नाराज हैं?
उत्तर: बिल्लू खरगोश ने चतुराई से गजपति को यह कहकर डराया कि वह चंद्रदेव का दूत है और चंद्रदेव इस बात से नाराज हैं कि हाथियों के पैरों के नीचे रोज कई खरगोश कुचले जा रहे हैं। अगर हाथी तुरंत जंगल नहीं छोड़ते, तो चंद्रदेव उन्हें दंड देंगे।
3. प्रश्न: गजपति ने चंद्रदेव से माफी कैसे मांगी?
उत्तर: बिल्लू ने गजपति को झील के पास ले जाकर पानी में चाँद के प्रतिबिंब को चंद्रदेव के रूप में दिखाया और कहा कि वे आराम कर रहे हैं। गजपति ने उसी प्रतिबिंब को चंद्रदेव समझकर उनसे माफी मांगी और जंगल छोड़ने का वादा किया।
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